शहरी कानूनों की बहुतायत शहरी जनसंख्या के लिए हमेशा से एक दुःस्वप्न रही है। आधिकारिक कार्यों में जानकारी एवं पारदर्शिता का आभाव कुछ ऐसे घटक थें जो ऐसे मामलों को जन्म देते हैं एवं इसके लिए जिम्मेदार हैं। काफी बड़ी तादाद में अनुश्रवण एवं मूल्यांकन उद्देश्य के लिए डाटा, क्षेत्र एवं आबादी की विस्तृत कवरेज, आंतरिक-विभागीय संबंध, प्रशासन एवं जनता के बीच अप्राप्यता आदि कुछ ऐसे घटक थें जिनके कारणवश इस संस्था की स्थापना की आवश्यकता पड़ी जिसके परिणामस्वरूप प्रशासन, विभिन्न विभागों एवं जनता के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके। इसके अतिरिक्त तकनीकि विशेषज्ञों की जानकारी को बढ़ावा देने के लिए इस संस्था की स्थापना की आवश्कता पड़ी, ताकि प्रशासन-जन मानस के रिश्तों में नए विचारों का प्रवाह किया जा सके।
“आवास बंधु” की स्थापना सन् 1997 में बतौर सर्वोच्च संस्थान के रूप में आवस एवं शहरी नियोजन विभाग के अंतर्गत करी गई थी, जिससे आवासीय सेक्टर की कार्यप्रणाली की निगरानी करी जा सके एवं अधीनस्थ विभाग/एजेंसी अर्थात नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, उत्तर प्रदेश, विकास प्राधिकरणों एवं उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद की गतिविधियों में समन्वय स्थापित किया जा सके। सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत आवास बंधु एक पंजीकृत सोसाइटी है जो निम्न गतिविधियों का निष्पादन करती है:-
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